Saturday, January 14, 2012

Shabar mantras

कामाख्या देवी -
मन्त्रः-
“ॐ कामरु देश कामाख्या देवी, तहाँ बैठा इस्माइल जोगी । इस्माइल जोगी दिए चार पान । एक पान सों राती माती । दूजे पान सों विरह सँजोती । तीजे पान सों अंग मरोड़े । चौथे पान सों दोऊ कर जोड़े । चारों पान जो मेरे खाय, मेरे पास से कहूँ न जाय । ठाड़े सुख न बैठे सुख, फिर-फिर देखे मेरा मुख । कामरु कामाख्या की आज्ञा फुरै, इस वचनों की सिद्धि पड़ै । ॐ ‌ठः ठः ठः ठः ठः ठः ।”
विधिः-
नित्य १०८ जप २१ दिन तक करके सिद्ध करें । फिर रविवार के दिन ४ पान का एक बीड़ा बनाकर खिला दें ।‘साध्या’ का वशीकरण होगा ।

कलुआ वीर -
मन्त्रः-
” हरा बगीचा कँचना, महोबे का पान । कलुआ वीर का पहला मन्तर । हनूमान मैदान, जोगिनी जा । जिसको मैं कहूँ, उसको पकड़ के ला । कवाड़ देश, बंगाल का इलम साँचा । गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।”
विधिः-
ऊदबत्ती सुलगाकर 100 दाने की माला से २५००० जप करने पर मन्त्र सिद्ध होगा । फिर किसी कंकड़ पर ७ बार मन्त्र पढ़कर जिस स्त्री को बुलाना हो, उसके मार्ग में पीछै से आगे की तरफ इस प्रकार फेंके कि कंकड़ स्त्री के बाजू से निकलकर आगे गिरे । जहाँ वह कंकड़ गिरेगा, स्त्री उसके आगे नहीं जा सकेगी । लौटकर साधक के पीछे-पीछे चली जाएगी ।

विकट-मन्त्र -
मन्त्रः-
“चल, चली चल । नारे चल, खोरे चल । अगाड़ी चल, पिछाड़ी चल । जिस पर मैं कहूँ, उस पर चल । कवाड़ देश, बंगाल का इलम साँचा । गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।”
विधिः-
होली या दीवाली पर ऊदबत्ती और कपूर जलाकर १२१ बार पढ़ने से सिद्ध होगा । फिर खाने-पीने की किसी वस्तु को सात बार अभिमन्त्रित कर खिलाने-पिलाने से वशीकरण होगा ।

बैहा-नारसिंह -
मन्त्रः-
“कामरु खण्ड कामाक्षा देवी जहाँ बसै इस्माइक जोगी । इस्माइल जोगी फूल चढ़ावै । एक फूल हँसै, एक फूल बिहँसै । एक फूल बैहा नारसिंग बसै । जो लेय इस फूल की बास, सो उठ चलै हमारे साथ । जो ना उठ चले हमारे साथ, आधी रात कलेजा फटे । गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति । फुरै मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।”
विधिः-
सात बार अभिमन्त्रित पुष्प सुँघाने से वशीकरण होता है । पहले घी की आहुति 108 बार जप कर सिद्ध कर लें ।

लोना चमारिन -
मन्त्रः-
“कामरु देश कामाख्या देवी, जहाँ बसे इस्माइल जोगी । इस्माइल जोगी की लगी फुलवारी, जे के फूल चुनै लोना चमारिन । जो लेय इस फूल की बास, उसकी जान हमारे पास । घर छोड़, घर-आँगन छोड़, छोड़ै कुटुम्ब मोह-लाज । दुहाई लोना चमारिन की ।।”
विधिः-
१॰ ७ बार अभिमन्त्रित पुष्प सुँघाने या मारने से वशीकरण होता है ।
२॰ पीपल के वृक्ष के नीचे जो मन्दिर हो, वहाँ जाकर जिसका मन्दिर हो, उसे सिन्दूर आदि चढ़ावे और एक नारियल चढ़ावे । पूजन में सात चमेली के फूल अवश्य हों । फिर एक फूल पर १२१ बार मन्त्र पढ़कर जिसे मार दिया जाएगा, वह स्त्री वशीभूत होकर साधक के पीछे-पीछे चली आएगी । यह क्रिया प्रत्येक प्रयोग के समय करनी होगी ।

अल्लाह -
मन्त्रः-
१॰ “ला इलाह की कोठरी । इल्लल्लाह की खाई, अली नबी की चौकी । गफूरुर्रहीम की दुहाई ।”
२॰ “सूर चले, जञ्जीर चले । लौलाक पर्वत चले, अलिफ नाम अल्लाह का चले । किस पर चले, फलाँ बिनते फलाँ के सर पै चले । ला इलाह ला दो, इल्लल्लाह बुला दो, इस नबी के कलमे से मेरे कदमों पै झुका दो ।।”
विधिः-
मन्त्र संख्या १ को तीन बार पढ़कर अपने सीने पर फूँक मारें । फिर मन्त्र संख्या २ को १२१ बार पढ़कर सो जाएँ । दिन का कोई सवाल नहीं, फिर भी जहाँ तक हो सके, रविवार से प्रारम्भ करें । प्रायः तीन दिन में ‘साध्या’ का वशीकरण हो जाता है ।

आकर्षण -
मन्त्रः-
“होवल्लजी खलकुश् शमा वातो वलअर्द फीसित्तते अय्याम ।।”
विधिः-
स्त्री के बाँएँ पैर के नीचे की मिट्टी लेकर नए सफेद कपड़े में बाँधकर अपने दाहिने पैर में इस प्रकार बाँधे कि पोटली नीचे दबाई जा सके । फिर उस पैर को जोर से जमीन पर जमाकर (इस प्रकार कि मिट्टी की पोटली पर दबाव पड़े) उपर्युक्त आयत (मन्त्र) को पढ़ते रहें । घण्टे-दो-घण्टे में वह स्त्री आ जायगी । यह प्रयोग रविवार या मंगलवार को करे ।
दूसरी विधि यह है कि स्त्री के बाँएँ पैर के नीचे की मिट्टी पर १२१ बार मन्त्र पढ़कर आग में डाल दें । इससे उसके हृदय में दाह उत्पन्न होगी और वह आएगी ।

The Mahalaxmi Mantra - Mahalaskmi Ashtak strotra

श्री सूक्तं

श्री सूक्तं

हरिः ॐ ॥

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवीर्जुषताम् ॥३॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥४॥
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणो ॥५॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् किर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥७॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥८॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीगं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥९॥
मनसः काममाकूतिं वाचस्सत्यमशीमहि ।
पशूनां रुपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥१०॥
कर्दमेन प्रजाभूता मयि संभव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥११॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लित वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥१२॥
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१३॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१४॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥१५॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्य मन्वहम् ।
श्रियः पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥१६॥
|| ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ||

Acharya Shailesh with different celeb