Saturday, December 26, 2020
साल 2021 से साल 2022 तक कि भविष्यवाणी आचार्य शैलेश तिवारी की जुबानी........जब जब पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं तब तब प्रकृति अपने भार को खुद से संतुलित करते रहती है। जब से इस सृष्टि की शुरूआत हुई है तब से लेकर अभी तक प्रकृति हमेशा से ही जनसंख्या को खुद से नियंत्रित करते हुए आई है। चाहे वो बड़े युद्ध से हो रोग बीमारी जिसे वैश्विक स्तर पर हम महामारी कहते हैं। धरती अपनी भार को संतुलित करती है। और महामारी जो है साक्षात मैं इसे महाशक्ति की रूप मानता हूँ। मानव शक्ति इस महामारी के सामने पंगु बन जाती है इतिहास को उठाकर देखें दुनिया मे महामारी के रूप में प्लेग आई है। चेचक/ हैजा और ऐसे ही अब कोविड19 जिसे हम कोरोना कहते हैं। ये साक्षात माँ दुर्गा हैं इस महामारी में जो भी बाहर निकलेगा सावधानी नहीं बरते तो महामारी उसे निगल लेती है।....। दुर्गा सप्तशती के 11वें और 12वें अध्याय में माता दुर्गा ने महामारी के दैवी प्रकोपों का वर्णन किया है और उनके शमन हेतु 11वें और 12वें अध्याय में कुछ विशेष तथ्यों का वर्णन किया है। जिसके अनुसार अगर लक्ष्यचंडी का पाठ इन्हीं मंत्रों से संपुट करके किया जाए और हवन भी किया जाए तो महामारी रोकने में दैवीय कृपा भी सहायक होती।...... ये हैं अति विशेष मंत्र! देंगे राहत...श्री मार्कण्डेय पुराण में श्री दुर्गासप्तशती में किसी भी बीमारी या महामारी का उपाय देवी के स्तुति तथा मंत्र द्वारा बताया गया है जो कि अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं...रोग नाश के लिए...रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥महामारी नाश के लिए...ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।दरअसल मां दुर्गा की आराधना के लिए विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता है। इसका पाठ शुभ की प्राप्ति, अनिष्ट का नाश व सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भारत में अपार संभावनाएं हैं चाहे आयुर्वेद हो अथवा अंग्रेजी दवा भारत की इलाज और देशों के अलावा ज्यादा कारगर है इसके अलावा कोविड 19 को हमारे आयुर्वेद के द्वारा कंट्रोल करने की पूरी शक्ति है जरूरत है हमारे भारत सरकार को की आयुर्वेद का सहारा लिया जाय इसमें हरसिंगार का पत्ता जिसे रातरानी नाईट जश्मिन और अपराजिता के पैधे के पत्ते में महाशक्ति है आयुर्वेद में बुखार खासी और कोविड19 कोरोना जैसे महामारी को समाप्त करने की पूरी शक्ति है बस अपराजिता के पत्ते को पानी मे उबाल कर काढ़े के रूप में प्रयोग करने से कोरोना नेगेटिव आ जाता है।इसलिए कोरोना बीमारी में आयुर्वेद को हम नज़रंदाज़ नहीं कर सकते।अगर ग्रहों की चाल पर बात करें राहत की बात यह होगी की साल 2021 अप्रैल के दूसरे सप्ताह में गुरु अपनी नीच राशि मकर को छोड़कर कुंभ राशि में चले जाएंगे जिसे ज्योतिषशास्त्र में ‘अमृत कलश’ की राशि कहा जाता है। कुंभ राशि में आते ही गुरु पूरी दुनिया को कोरोना वायरस महामारी से बड़ी राहत देंगे लेकिन कोरोना से पूरी तरह राहत साल 2021 और 2022 में नहीं मिल पाएगी। कोरोना से राहत और मास्क से मुक्ति साल 2023 के मार्च के बाद हो पाएगी। शनि और वृहस्पति की युति जिसके प्रभाव से गर्मियों के बाद अर्थव्यस्था की हालत कुछ सुधरेगी। इसके अतिरिक्त राहु वर्ष भर वृष राशि में रहेंगे तथा शनि मकर राशि में गोचर करेंगे। वृष के राहु तकनीकी क्षेत्र (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) तथा मकर के शनि कृषि क्षेत्र में नयी ऊर्जा लाएंगे। किसानों का पक्ष और लाभ सबल होगा।साल 2021 में बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ी शक्ति प्राप्त होगी।वहीं ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर जाने का रास्ता साफ होगा। वहीं साल 2021 के अंत मे महाराष्ट्र सरकार की सत्ता शक्ति परिवर्तन अथवा मध्यावधि चुनाव की ओर ले जाएगी। शनि वृहस्पति की युति देश राजा यानी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ विद्रोह पैदा करेगा लेकिन शनि मकर राशि में स्वग्रही बने रहने के कारण भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की शक्ति में वृद्धि और बुलंदियां बढ़ेगी वहीं 2022 का उत्तर प्रदेश में बीजेपी की शासन बरकरार रहेगी। योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक शक्ति बढ़ेगी। शनि ग्रह कुम्भ राशि में 30 अप्रैल 2022 से 9 जुलाई 2022 तक गोचर करेंगे। देश को इस समय तक अयोध्या में राम मंदिर और दिल्ली में नया संसद भवन मिल जाएगा ।2021 के जून से अगस्त तक झारखंड और बिहार दोनों राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना रहेगा।इसके बाद विश्व में कोरोना से लोगों का भय का अंत होगा और इसके बाद कारगर वैक्सीन दुनिया को मिल पाएगी।साल 2021 में क्रेप्टो करेंसी यानी आभासी मनी यानी बिटकॉइन का बोलबाला बढ़ेगा।2021 में पूरी दुनिया में सभी राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ बगावत के बिगुल बजेंगे। धार्मिक उन्माद और कटरतावाद पूरी दुनिया में बढेगा। पहाड़ी इलाकों में जनवरी के अंत में भूकंप से नुकसान और जब तक शनि और बृहस्पति साथ होंगें दुनिया भय और रोग से आतंकित रहेगा। शनि और वृहस्पति एक ऑर्बिट में 397 वर्ष बाद आये हैं ये मानवता के लिए खतरे की घंटी और भय पूर्ण माहौल रहेगा।बाकी प्रभु की ईश्वरीय ईक्षा।प्रस्तुति आचार्य शैलेश तिवारी ज्योतिष गुरु नई दिल्ली
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